Top Shodashi Secrets

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क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥

While the precise intention or importance of the variation may perhaps vary dependant on own or cultural interpretations, it could possibly frequently be comprehended as an prolonged invocation on the put together Electrical power of Lalita Tripurasundari.

कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

गणेशग्रहनक्षत्रयोगिनीराशिरूपिणीम् ।

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The iconography serves like a point of interest for meditation and worship, letting devotees to attach Using the divine Vitality on the Goddess.

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

The noose signifies attachment, the goad signifies repulsion, the sugarcane bow signifies the intellect and the arrows are the 5 feeling objects.

The essence of these events lies from the unity and shared devotion they inspire, transcending unique worship to produce a collective spiritual environment.

ज्योत्स्नाशुद्धावदाता शशिशिशुमुकुटालङ्कृता ब्रह्मपत्नी ।

पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥

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